Puliyabaazi

यह लिबरल आख़िर है कौन? Foundational Ideas of Liberalism.

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Sinopsis

लिबरलिस्म अर्थात स्वातंत्रवाद आज एक विस्फोटक शब्द हो गया है | लेकिन ये लिबरल होने का आख़िर मतलब क्या होता है? इस प्रश्न का उत्तर खोजते हुए हम फ्रेडरिक हायेक (1899-1992) के लेख पढ़ने लगे | हायेक लिबरल विचारधारा की एक महत्वपूर्ण हस्ती है | The Use of Knowledge in Society, The Road to Serfdom और Law, Legislation, and Liberty हायेक के कुछ धमाकेदार लेख है जो आज भी बेहद प्रासंगिक है | उनकी पहली किताब के प्रकाशन को हाल ही ७५ साल हुए तो हमने सोचा उनके विचारों से हमारे श्रोताओं को अवगत कराया जाए | लिबरल विचारधारा और हायेक की इन रचनाओं पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ है अमित वर्मा | अमित एक लेखक और पॉडकास्टर है | अमित कई अखबारों में लिबरलिस्म, क्रिकेट, और राजनीति जैसे विषयों पर लिखते हैं | उनका अंग्रेजी पॉडकास्ट The Seen and The Unseen भारत के श्रेष्ठ पॉडकास्ट में से एक है | Every “-ism” is built on a set of canonical ideas and influential personalities. And one such leading thinker behind the liberalism philosophy is Friedrich August Hayek (1899-1992). His landmark book The Road to Serfdom completed 75 years recently. Th